Sangeeta singh

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रसगुल्ला तेरी कहानी

रसगुल्ला तेरी ऐसी कहानी
नाम सुन आ जाए पानी।।

एक ऐसा शब्द जिसका नाम आते ही जिह्वा की ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं।
सिर्फ दो चीजों से बना ये रसगुल्ला मिठास घोल देता है रिश्तों में।

   _रसगुल्ला विधि
दूध को फ़ाड़ कर छेना बनाया जाता है ,फिर इसमें थोड़ा मैदा मिला , छोटी छोटी गोलियां बनाई जाती है,और उसे चाशनी में डाल दिया जाता है ,लो हो गया रसगुल्ला तैयार।

अब इसे मुंह में डाल ,इसकी कहानी शुरू करते है, कि रसगुल्ला कब भारत में अस्तित्व में आया,और सबसे पहला रसगुल्ला किसने बनाया  ?तो साहबान तैयार हो आ जाइए,इसकी कथा सुनने को।

तो रसगुल्ला कथा इस प्रकार है_
भारत में पुर्तगाली समुद्र के रास्ते भारत में आए।1528 में पुर्तगालियों ने चिटगाव में अपना नया कारखाना खोला ,वहां पुर्तगाली और यूरोपियन समुदाय के 5000 परिवार बस गए।

पुर्तगाली पनीर के बहुत शौकीन थे ,उनसे ही दूध फाड़ छेने बनाने कि कला भारत में आयी ,इससे पहले दूध का फटना अपशकुन माना जाता था।
फिर क्या था ,इस छे ने के आने से बंगाल के हलवाइयों ने जंग छिड गई ,इससे नई नई सामग्री बनाने की होड़ ।बंगाल में हलवाइयों को मोइरा भी कहते हैं।

नवीनचन्द्र दास को इस रसगुल्ले के आविष्कार का श्रेय जाता है,उनकी बागबाजार में मिठाई की दुकान थी ,एक दिन उन्होंने छेने के गोले बना ,जब चासनी में गोले को डाला,तो फूल कर रसगुल्ले की शक्ल के हो गए,इस प्रकार  1868 ईस्वी में  रसगुल्ला अस्तित्व में आया।

एक दिन भगवानदास नामक मारवाड़ी अपनी घोड़ागाड़ी से बाज़ार की तरफ से जा रहे थे,प्यास लगने पर उन्होंने  नवीनचंद्र की दुकान के सामने अपनी घोड़ागाड़ी रुकवाई ।
तब नवीनचंद्र दास ने पानी के साथ ,रसगुल्ले का स्वाद भी चख वाया।रसगुल्ला खाकर वो इतने इसके स्वाद के मुरीद हो गए कि उन्होंने इसको खूब मात्रा में खरीदा ,और नियमित ग्राहक बन गए।

इस तरह बंगाल का रसगुल्ला,बंगाल से निकल पूरे भारत की प्रसिद्ध मिठाई हो गई।
इतना ही नहीं इस रसगुल्ले की महिमा तो देखिए,14 नवंबर को बंगाल में रसगुल्ला दिवस भी मनाया जाता है।

   ये थी ,हमारे रसगुल्ले जी की कहानी ।

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2 Comments

Milind salve

16-Dec-2021 08:53 PM

Good

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Sangeeta singh

16-Dec-2021 10:34 PM

🙏

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